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ईसाईयत छोड़कर इस्लाम कुबूल करने वाले दुनियाभर के ग्यारह ईसाई पादरियों और धर्मप्रचारकों की दास्तानें। आज जहां इस्लाम को लेकर दुनियाभर में गलतफहमियां हैं और फैलाई जा रही हैं, ऐसे में यह किताब मैसेज देती है कि इस्लाम वैसा नहीं है जैसा उसका दुष्प्रचार किया जा रहा है।
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Veröffentlichungsjahr: 2015
उनके नाम
जो जुटे हैं
सच को तलाशने में
पादरियों ने अपनाया इस्लाम
ईसाईयत छोड़कर इस्लाम कुबूल करने वाले
ग्यारह ईसाई पादरियों और धर्मप्रचारकों की दास्तानें
संकलन/ अनुवाद/ संपादन
मुहम्मद चाँद
तुम ईमान वालों का दुश्मन सब लोगों से बढकर यहूदियों और मुशरिकों को पाओगे और ईमान वालों के लिए मित्रता में सबसे निकट उन लोगों को पाओगे जिन्होंने कहा कि -हम ईसाई हैं। यह इस कारण कि ईसाईयों में बहुत से धर्मज्ञाता और संसार त्यागी संत पाए जाते हैं। और इस कारण कि वे अहंकार नहीं करते। जब वे उसे सुनते हैं जो रसूल पर अवतरित हुआ है तो तुम देखते हो कि उनकी आखें आंसुओं से छलकने लगती हैं। इसका कारण यह है कि उन्होंने सच्चाई को पहचान लिया है। वे कहते हैं-हमारे रब, हम ईमान ले आए। इसलिए तू हमारा नाम गवाही देने वालों में लिख ले। (कुरआन-5 : 82-83)
तकरीबन चौदह सौ साल पहले अवतरित कुरआन की ये आयतें आज भी प्रासंगिक और सामयिक हैं। आम ईसाई ही नहीं बल्कि ईसाई पादरियों और धर्मप्रचारकों का बड़ी तादाद में इस्लाम को गले लगाना कुरआन की इन आयतों को खरी और प्रभावी साबित करता है।
इस किताब में दुनियाभर के ग्यारह ईसाई पादरियों और धर्मप्रचारकों की दास्तानेंं हैं जिन्होंने इस्लाम अपनाया। गौर करने वाली बात है कि ईसाईयत में गहरी पकड़ रखने वाले ये ईसाई धर्मगुरु आखिर इस्लाम अपनाकर मुसलमान क्यों बन गए? आज जहां इस्लाम को लेकर दुनियाभर में गलतफहमियां हैं और फैलाई जा रही हैं, ऐसे में यह किताब मैसेज देती है कि इस्लाम वैसा नहीं है जैसा उसका दुष्प्रचार किया जा रहा है।
इस किताब के पीछे मेरा मकसद किसी भी धर्म विशेष का अपमान करना या उसे नीचा दिखाना नहीं बल्कि इन ईसाई पादरियों और धर्म प्रचारकों के जरिए यह बताना है कि इस्लाम पूरी इंसानियत के लिए अमनो-चैन का मजहब है, कामयाबी का रास्ता है।
- मुहम्मद चाँद
अमेरिका के तीन ईसाई पादरी इस्लाम की शरण में आ गए। उन्हीं तीन पादरियों में से एक पूर्व ईसाई पादरी यूसुफ एस्टीज की जुबानी कि कैसे वे जुटे थे एक मिस्री मुसलमान को ईसाई बनाने में, मगर जब सत्य सामने आया तो खुद ने अपना लिया इस्लाम।
बहुत से लोग मुझसे पूछते हैं कि आखिर मैं एक ईसाई पादरी से मुसलमान कैसे बन गया? यह भी उस दौर में जब इस्लाम और मुसलमानों के खिलाफ हम नेगेटिव माहौल पाते हैं। मैं उन सभी का शुक्रिया अदा करता हूं जो मेरे इस्लाम अपनाने की दास्तां में दिलचस्पी ले रहे हैं। लीजिए आपके सामने पेश है मेरी इस्लाम अपनाने की दास्तां-